गोंडा की पौराणिक मनोरमा नदी को मिल रही नई पहचान
गोंडा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रेरणा और जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के मार्गदर्शन में मनोरमा नदी के पुनर्जीवन कार्य को नई गति मिली है। नदी के ताड़ी ताल से रेलवे पुल तक कुल 1.200 किमी क्षेत्र में जीर्णोद्धार कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न हो चुका है। अब लक्ष्य है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 15 किलोमीटर क्षेत्र में नदी को पुनर्जीवित किया जाए।
212 किमी लंबी नदी, गोंडा में 97 किमी बहाव
मनोरमा नदी की कुल लंबाई करीब 212 किलोमीटर है, जिसमें 97 किलोमीटर का क्षेत्र जनपद गोंडा में आता है। यह नदी गोंडा और बस्ती जिलों के कई विकासखंडों से होकर गुजरती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसका उद्गम रूपईडीह के उद्दालक ऋषि आश्रम के पास तिर्रेमनोरमा ताल से होता है, लेकिन आधुनिक सर्वेक्षणों के अनुसार इसका वास्तविक स्रोत इटियाथोक के ताड़ी ताल को माना गया है।
जनसहभागिता से बना जनांदोलन
नदी पुनर्जीवन कार्य को केवल सरकारी परियोजना तक सीमित न रखते हुए इसे जनसहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बनाया गया है। ताड़ी ताल नाला के टेल से 0.850 किमी क्षेत्र में ग्रामीणों व सिंचाई विभाग ने मिलकर श्रमदान किया। पुलिया के दोनों ओर लगभग 100 मीटर क्षेत्र की सफाई और चौड़ीकरण कार्य स्थानीय समुदाय की भागीदारी से हुआ।
भविष्य में जल, जैवविविधता और रोजगार को लाभ
इस परियोजना से भविष्य में कई तरह के लाभ सामने आएंगे:
-
भूगर्भीय जलस्तर में सुधार
-
नदी प्रवाह की निरंतरता
-
जैव विविधता का संरक्षण
-
बाढ़ नियंत्रण
-
कृषि क्षेत्र में जल आपूर्ति
-
मत्स्य पालन व जल आधारित रोजगार
जिलाधिकारी कर रहीं लगातार निगरानी
जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा स्वयं इस महत्वाकांक्षी कार्य की नियमित निगरानी कर रही हैं। वह संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर इस अभियान को जनांदोलन का रूप दे रही हैं।
निष्कर्ष:
गोंडा में मनोरमा नदी पुनर्जीवन न केवल प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह अभियान एक सशक्त प्रशासनिक दृष्टिकोण और जनभागीदारी का उदाहरण भी बन रहा है। मुख्यमंत्री की प्रेरणा और जिलाधिकारी की प्रतिबद्धता के कारण यह कार्य जल संरक्षण, रोजगार, पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।