नई दिल्ली | आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है, जो 21 अगस्त तक चलेगा। कुल 32 दिन के इस सत्र में 21 बैठकें प्रस्तावित हैं। यह सत्र बेहद हंगामेदार रहने के संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि विपक्ष ने पहले ही सरकार को कई बड़े मुद्दों पर घेरने की रणनीति बना ली है।
🔴 विपक्ष की तैयारी: तीखे हमलों की आशंका
विपक्ष की नजरें खास तौर पर “ऑपरेशन सिंदूर”, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान, मणिपुर हिंसा, चीन की घुसपैठ, बिहार में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण और जम्मू-कश्मीर के हालात जैसे ज्वलंत मुद्दों पर हैं।
रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने स्पष्ट रूप से मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन संवेदनशील मुद्दों पर स्वयं संसद में जवाब दें। हालांकि सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि जवाब देने की जिम्मेदारी संबंधित मंत्रियों की होगी, और पीएम मोदी सत्र के दौरान उपलब्ध रहेंगे।
🟡 पीएम मोदी मीडिया को करेंगे संबोधित
सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया से रूबरू होंगे और सत्र के एजेंडे और सरकार की प्राथमिकताओं पर विचार साझा करेंगे।
🛡️ रक्षा मंत्री देंगे ऑपरेशन सिंदूर पर जवाब
विवादित ऑपरेशन सिंदूर पर खुद प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बयान देंगे। विपक्ष को राज्यसभा में इस मुद्दे पर प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाएगी।
📜 पेश होंगे आठ नए और नौ लंबित विधेयक
सरकार की योजना है कि इस सत्र में 8 नए विधेयक और 9 पहले से लंबित विधेयकों को पेश किया जाएगा। इन विधेयकों में सामाजिक न्याय, तकनीक, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े विषय शामिल हैं।
🤝 सरकार ने मांगा सहयोग
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सर्वदलीय बैठक के बाद बताया कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है लेकिन बहस संसदीय नियमों के दायरे में ही होगी। उन्होंने कहा, “हम विपक्ष से सहयोग की अपेक्षा करते हैं ताकि यह सत्र उत्पादक साबित हो।”
📌 विपक्ष की अन्य प्रमुख मांगें
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बिहार में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण
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मणिपुर में हिंसा और प्रशासन की भूमिका
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चीन और जम्मू-कश्मीर के हालात पर चर्चा
रिजिजू ने कहा कि चुनाव आयोग से संबंधित और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की चर्चा भी संविधानिक प्रक्रिया के तहत की जाएगी।
📢 निष्कर्ष:
मानसून सत्र 2025 कई महत्वपूर्ण मुद्दों और बहसों का गवाह बनने जा रहा है। विपक्ष पूरी तैयारी में है, जबकि सरकार भी सभी मुद्दों पर चर्चा से पीछे नहीं हटेगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकतंत्र के इस मंदिर में जनहित से जुड़े कौन से निर्णय लिए जाते हैं और बहस किस दिशा में जाती है।