उत्तर प्रदेश: में एक बड़े धर्मांतरण गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसमें ‘रिवर्ट’ नामक कोड वर्ड के जरिए कई लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण कराया जा रहा था। इस कोड वर्ड का उपयोग गिरोह के सदस्य ‘घर वापसी’ के रूप में करते हैं, लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट निकलकर सामने आई है।
🔎 कोड वर्ड ‘रिवर्ट’ का मतलब और इसका दुरुपयोग
ATS व IB की जांच में सामने आया कि धर्म परिवर्तन के लिए ‘रिवर्ट’ शब्द का उपयोग किया जाता है, जिसे सोशल मीडिया पर स्टेटस और पहचान के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। गिरोह में शामिल सदस्य खुद को रिवर्ट लिखकर प्रचारित करते हैं।
इस गिरोह की खास बात यह है कि यह पहले अखबारों में लड़कियों के नाम से विज्ञापन छपवाता है, फिर कोर्ट में याचिका दाखिल कर निकाह और अन्य दस्तावेज बनवाए जाते हैं।
एक बार जब निकाह और कागजात बन जाते हैं तो फिर लड़कियों का घर लौटना लगभग असंभव हो जाता है।
👭 दो सगी बहनों को इस तरह फंसाया
पुलिस के अनुसार, दो सगी बहनों को झांसे में लेकर इस गिरोह ने पहले उन्हें दिल्ली, फिर बिहार होते हुए कोलकाता भेजा। उनके पास सिर्फ ₹25,000 थे और कुछ जेवरात। गिरोह के सदस्यों ने उन्हें सोने के गहने लाने से मना किया था, लेकिन वे लेकर गईं।
कोलकाता में उनकी मुलाकात ओसामा नाम के युवक से हुई जिसने होटल और फिर बस्ती में ठहरने की व्यवस्था कराई।
👥 10 आरोपी गिरफ्तार, 6 पहले थे हिंदू, अब बदले नाम से करते हैं काम
पुलिस ने इस मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें 10 दिन की रिमांड पर लिया गया है। इनमें से 6 आरोपी पूर्व में हिंदू थे। धर्मांतरण के बाद उन्होंने नाम बदल लिए —
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एसबी कृष्णा ➝ आयशा
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रूपेंद्र बघेल ➝ अबु रहमान
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मनोज ➝ मुस्तफा
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शेखर रॉय ➝ अली हसन
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पियूष सिंह पंवार ➝ मोहम्मद अली
इन सबको गिरोह ने लालच देकर अपने साथ मिलाया था।
📲 फर्जी दस्तावेज और वोटिंग अधिकार भी दिलाते थे
धर्मांतरण के बाद इन लोगों को कोलकाता में फर्जी आधार और वोटर आईडी बनवाकर मतदान का अधिकार भी दिलाया जाता था। यही नहीं, इनके नाम पर अलग-अलग सोशल मीडिया प्रोफाइल बना दिए जाते थे, जिनमें ‘Revert’ लिखा होता था।
🕵️♂️ ATS और IB की संयुक्त पूछताछ जारी
रविवार को ATS और IB अधिकारियों ने आरोपियों से घंटों पूछताछ की। अधिकारियों के मुताबिक, यह गिरोह एक राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ नेटवर्क है जो कई राज्यों में फैला है।
अब इस मामले में और गिरफ्तारियों की संभावना है।
📢 निष्कर्ष:
‘रिवर्ट’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल कर युवतियों को बहकाना और उन्हें पूरी व्यवस्था के साथ फंसा देना, यह गिरोह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहा है, बल्कि सामाजिक व्यवस्था को भी चुनौती दे रहा है। पुलिस और जांच एजेंसियों की सक्रियता से यह साजिश उजागर हुई है, लेकिन अभी भी कई परतें खुलनी बाकी हैं।