लखनऊ | उत्तर प्रदेश में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक स्कूलों के मर्जर (विलय) के सरकार के फैसले को लेकर चल रही याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन सीतापुर जनपद में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश जरूर दिया है।
सरकार का फैसला और याचिका की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में 50 से कम नामांकित छात्रों वाले परिषदीय प्राथमिक स्कूलों को एकीकृत करने (मर्ज) का निर्णय लिया था।
इसका उद्देश्य स्कूलों के संचालन को सुधारना, संसाधनों का समुचित उपयोग और शिक्षकों की तैनाती को बेहतर बनाना बताया गया था।
लेकिन कुछ शिक्षकों, संगठनों और अभिभावकों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि इससे ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और अभिभावकों को अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच का निर्णय
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कोर्ट ने सरकार की मंशा को तात्कालिक रूप से खारिज नहीं किया
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मर्जर नीति पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया गया
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लेकिन सीतापुर जिले में वर्तमान स्थिति (Status Quo) बनाए रखने का निर्देश दिया गया
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अगली सुनवाई की तारीख 21 अगस्त 2025 तय की गई है
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि:
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यह नीति शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की भावना के खिलाफ है
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ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल पहुंचने में परेशानी होगी
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अभिभावक कम संसाधनों के कारण दूसरे गांव के स्कूल तक बच्चों को नहीं भेज पाएंगे
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शिक्षकों की मनमानी तैनाती और संख्या में कटौती की आशंका भी जताई गई
सरकार की दलील
राज्य सरकार ने अपने फैसले को व्यवस्थित और व्यावहारिक कदम बताया। सरकार का कहना है:
“छात्र संख्या कम होने से संसाधनों का बेहतर उपयोग नहीं हो पा रहा है।
एकीकृत स्कूलों से गुणवत्ता में सुधार होगा और शिक्षण व्यवस्था मजबूत होगी।”
सीतापुर को क्यों अलग रखा गया?
सीतापुर जनपद में कुछ स्थानीय परिस्थितियों और पहले से चल रहे विवादों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यहां स्थिति में कोई बदलाव नहीं करने का निर्देश दिया है। यानि, जब तक कोर्ट अगला आदेश न दे, यहां स्कूलों का मर्जर नहीं होगा।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार का यह कदम एक बड़े बदलाव का संकेत है, लेकिन इससे जुड़े सामाजिक और व्यवहारिक पहलुओं को लेकर बहस जारी है। हाईकोर्ट ने फिलहाल समझदारी भरा रुख अपनाते हुए राज्य की नीति को सीधा खारिज नहीं किया, लेकिन सीतापुर में विवाद को देखते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। अब देखना होगा कि 21 अगस्त को कोर्ट क्या अंतिम निर्णय देता है।